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लेखनी प्रतियोगिता -28-Jan-2023 "पैरों की पायल"

एक बार तू प्यार की थपकी, मुझको फिर से दे दे माँ 

पास मेरे आने की आहट, फिर से मुझे सुना दे माँ
बहुत दिनों से ताक रही थी, आहट तेरे कदमों की माँ
दूर कहीं से आ रही थी, झंकार तेरी पायल की माँ
सुन तेरे पायल की छनछन, पहुंच गई मैं बचपन में माँ
वो पायल तूने घुंघरू वाली, बांधी थी मेरे पैरों में माँ
सारे घर में पहन के उसको, कोने-कोने डोली माँ
छुन - छुन सुन पायल की धुन, मन ही मन हर्षाती माँ
पास बुलाती चूमके माथा, हृदय अपने से लगाती माँ 
दूर कहीं मैं छुप जाती, पायल की रुनझुन से ढूँढ निकालती माँ
जब मैं करती रुदन तो, झट से गले लगाती माँ 
फिर हुआ एक दिन ऐसा भी, आ गया कहीं से मदारी माँ 
ले चला साथ सारे घुंगरू, वो मेरी पायल के माँ 
खड़ी अचंभित मूक बनी मैं, ताक रही थी पायल माँ 
छुन- छुन.करती पायल वो, अब रह गई निरर्थक बनके माँ 
अब कैसे ढूँढ़ोगी मुझको, अब नहीं मैं मिलने की माँ 
इसीलिए कहती हूं फिर से, प्यार की थपकी दे दो माँ....!

मधु गुप्ता.... 

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6 Comments

वानी

30-Jan-2023 04:29 PM

Nice

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बहुत बहुत आभार और धन्यवाद.... 😊😊

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Abhinav ji

29-Jan-2023 08:32 AM

Very nice 👍

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